मध्यप्रदेश में बीजेपी जहां विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है, वहीं मिशन 2024 यानी आम चुनाव की तैयारियां भी तेज कर दी है। बीजेपी ने खासकर उन सीटों पर फोकस किया है, जहां उसे हमेशा ही मुंह की खानी पड़ी है। ऐसी ही एक सीट है छिंदवाड़ा। यह मध्यप्रदेश की एक मात्र ऐसी लोकसभा सीट है, जिसे 1952 के बाद से एक उपचुनाव को छोड़ दें तो बीजेपी को कभी यहां जीत नहीं मिली। कांग्रेस की यह सीट अभेद किले की तरह है। कांग्रेस के इसी अभेद किले में सेंधमारी करने के लिए भाजपा के रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्लानिंग शुरू कर दी है।
छिंदवाड़ा को जिताने का जिम्मा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को दिया गया है। अमित शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा में रैली करने पहुंच रहे हैं। उम्मीद है कि नड्डा भी उनके साथ आएंगे। हिंदूवादी नेता गिरिराज सिंह के लिए यह चुनाव किसी चैलेंजिंग टास्क से कम नहीं है, क्योंकि छिंदवाड़ा की सभी सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। निकाय चुनाव में भी छिंदवाड़ा में महापौर और 11 निकाय में से अब 7 पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है। आइए आपको समझाते हैं कि कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में बीजेपी कैसे तैयार कर रही है, सेंधमारी की जमीन।
बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में जिन 160 सीटों पर हारी थी, वहां 2024 के आम चुनाव तक एक विशेष अभियान शुरू कर रही है। इसमें मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट भी है। छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है, यहां बीजेपी का हर दांव फेल हो जाता है। इस बार केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मिलकर इस सीट को जीतने की स्क्रिप्ट लिखी है।
छिंदवाड़ा में कांग्रेस की ताकत, इमरजेंसी में भी बीजेपी नहीं जीत पाई थी यह सीट
- 1977 के लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो गया था, लेकिन छिंदवाड़ा से कांग्रेस को जीत मिली।
- कांग्रेस की इस परंपरागत सीट पर 1991 में बीजेपी की प्रदेश सरकार के रहते सुंदरलाल पटवा ने छिंदवाड़ा के विधायक व प्रदेश सरकार के मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह को कमलनाथ के सामने चुनाव मैदान में उतारा था फिर भी सफलता नहीं मिली।
- 2003 में मध्य प्रदेश में उमा भारती के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी। 2004 के लोकसभा चुनाव में उमा ने कमलनाथ के सामने प्रह्लाद पटेल को मैदान में उतारा, लेकिन कमलनाथ के गढ़ में बीजेपी सेंध नहीं लगा सकी।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीटें जीत गई थी। जिन दो सीटों पर ‘पंजा’ अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब रहा, उनमें छिंदवाड़ा भी था। कमलनाथ यहां से 1.16 लाख मतों से विजयी हुए थे।
- 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गुना की सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया से छीनने में सफल हो गई, लेकिन छिंदवाड़ा में उसे हार का सामना करना पड़ा।
कमलनाथ यानी छिंदवाड़ा मॉडल
छिंदवाड़ा में विकास मॉडल की बात करें तो पहली मिसाल चमचमाती सड़कों की दी जाती है। दूसरी मिसाल यहां के स्किल डेवलपमेंट सेंटर हैं। खास बात यह है कि पीएम मोदी के स्किल इंडिया की बात करने से पहले ही छिंदवाड़ा में स्किल सेंटर काम कर रहे हैं। एक स्किल डेवलपमेंट के संचालक बताते हैं कि क्षेत्र में कई स्किल डेवलपमेंट सेंटर काम कर रहे हैं। एक सेंटर में करीब 150 स्टूडेंट्स प्रशिक्षण लेते हैं। फुटवियर डिजाइन, ड्राइविंग सेंटर, गारमेंट व कंप्यूटर इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों में प्रशिक्षण देकर नौकरी के हिसाब से युवाओं को तैयार किया जाता है। यहां पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गांवों से आते हैं।
2014 में कमलनाथ ने चंद्रभान सिंह को 1,16,537 वोटों से हराया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यह जिताऊ मार्जिन 37,536 था। बीजेपी ने काफी हद तक अपनी हार के अंतर को कम कर दिया था। इस कम अंतर से बीजेपी को लगता है कि वह छिंदवाड़ा जीत सकती है। 2019 में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने भाजपा के आदिवासी नेता नाथन शाह को 37,536 वोटों से हराया था। यह स्थिति तब थी, जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी।
इस गणित के चलते बीजेपी नेतृत्व को उम्मीद है कि इस बार पहले से कोशिश करें तो 2024 में सफलता मिल सकती है। 2019 के चुनाव में काफी मंथन के बाद बीजेपी ने पूर्व विधायक और आदिवासी नेता नाथन शाह को नकुल नाथ के खिलाफ उतारा था। नाथन शाह पर इसलिए दांव लगाया गया, क्योंकि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में 7 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 3 सीटें (अमरवाड़ा, जुन्नारदेव व पांढुरना ) ST के लिए आरक्षित हैं। जानकार बताते हैं कि बीजेपी छिंदवाड़ा में इस बार राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ हिंदुत्व का तड़का लगाने की कोशिश कर रही हैं। शायद इसी वजह से फायरब्रांड हिंदूवादी नेता गिरिराज सिंह को यहां मैदान में उतारा है।
अब बताते हैं भाजपा की रणनीति क्या है, नड्डा-शाह की मीटिंग में लिखी गई स्क्रिप्ट
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पिछले साल 6 सितंबर को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक मीटिंग बुलाई गई थी। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने इस मीटिंग में उन 104 लोकसभा सीटों का एनालिसिस किया, जो 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी के लिए कठिन मानी जा रही हैं। इसमें मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट भी है। छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी अगस्त 2022 को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को दी गई थी।
इस बैठक में शामिल हुए गिरिराज सहित 25 केंद्रीय मंत्रियों ने लोकसभा क्षेत्रों में उनके काम को लेकर रिपोर्ट्स पेश की थीं। इसके बाद पार्टी ने लोकसभा प्रवास योजना फेज-2 तैयार की। यहीं इस सीट पर विजय की रूपरेखा तैयार की गई। शाह 25 मार्च को छिंदवाड़ा में रैली करने के साथ चुनावी रणनीति को लेकर बैठक करेंगे। सूत्रों का यह भी कहना है कि छिंदवाड़ा में पार्टी का फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है, जिनकी संख्या 8 लाख से ज्यादा है। इन्हें साधने की रणनीति पर काम चल रहा है।
जीतने के लिए क्या कर रही बीजेपी
लोकसभा प्रवास योजना फेज-2 के तहत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह छिंदवाड़ा प्रवास के दौरान स्थानीय असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं की शिकायतें सुनकर समाधान निकाल रहे हैं। वे क्षेत्र की बड़ी स्थानीय हस्तियों के साथ नियमित बैठकें भी कर रहे हैं। गिरिराज सिंह स्थानीय धार्मिक नेताओं, संतों और अलग-अलग समुदायों के स्थानीय नेताओं के साथ उनके घर जाकर बैठकें भी करेंगे। स्थानीय सामुदायिक उत्सवों और रीति-रिवाजों में भी सक्रिय रूप से भाग लेंगे। उन्हें क्षेत्र में होने वाले अनुष्ठानों और नुक्कड़ कार्यक्रमों में भी शामिल होने के लिए भी कहा गया है। क्लस्टर प्रभारियों को स्थानीय प्रभावी वोटर्स जैसे वकील, डॉक्टर, प्रोफेसर, बिजनेसमैन समेत अन्य पेशेवरों के साथ भी बैठक करने का रोडमैप तैयार करने को कहा गया है।
क्या बीजेपी को हिंदुत्व के सहारे मिलेगी जीत?
राजनीतिक जानकार रशीद किदवई कहते हैं कि छिंदवाड़ा आदिवासी बाहुल्य जिला है। यहां की सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इस बार मेयर चुनाव में भी कांग्रेस ने जीत हासिल की है। 70 सालों में बीजेपी ने यहां सारे प्रयोग कर लिए हैं। गिरिराज सिंह को यहां की जिम्मेदारी देकर शायद बीजेपी हिंदुत्व के सहारे 2024 में जीत हासिल करना चाहेगी। हिंदुत्व के मुद्दे पर गिरिराज सिंह हमेशा मुखर रहते हैं। उन्होंने हाल ही में तीन दिवसीय यात्रा की शुरुआत भी हनुमान मंदिर से ही की। इससे साफ संदेश है कि यहां हिदुत्व ही 2024 में सहारा होगा।
- सौंसर के प्रसिद्ध जाम सावली मंदिर को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित बनाने की घोषणा।
- छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी का नामकरण राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय करने की घोषणा।
- 10 दिसंबर 2022 को 1 हजार करोड़ 35 लाख 75 हजार रुपए के विकास कार्यों का लोकार्पण और भूमिपूजन।
- छिंदवाड़ा में एम्स से सम्बद्ध अस्पताल की स्थापना के लिए 768.22 करोड़ रुपए की सौगात दी।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत करीब 100 करोड़ रुपए की लागत के 30 निर्माण कार्यों का भूमिपूजन व लोकार्पण।
- सिकल सेल बीमारी का मुफ्त इलाज करवाने, आदिवासी क्षेत्रों में NEET, JEE की तैयारी के लिए स्मार्ट क्लास लगाने की घोषणा।
- बिछुआ में मुख्यमंत्री जन सेवा अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को स्वीकृति पत्र वितरण और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण।
- सौंसर में शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण तथा 18 करोड़ लागत के 21 निर्माण कार्यों का लोकार्पण व 9 करोड़ के 19 निर्माण कार्यो का भूमि पूजन।